
उचित आणविक एकत्रीकरण
के साथ रैखिकीय आकार के उचित स्वरूप में निर्मित, रत्नों का विशिष्ट क्रिस्टल
स्वरूप अपनी नियमित गतिशील तरंगों के साथ भारमुक्त करता है, जोकि क्षमताशील
लाभकारी विकिरणों को मजबूत व सुसंगत बनाती है, जिस कारण से लाभकारी ग्रह कमजोर या
संसतप्त हो जाता है।

इसी प्रकार से धरती,
ग्रहों और मानवता के बीच उत्तम केन्द्र की मूर्त का निर्माण हुआ था जोकि पूर्ण रूप
से अपने समन्वय दीप्तिमान चमक के कारण हम पर साकारात्मक प्रभाव डालता है।
सभी ज्योतिष शास्त्र
हमें बताते है कि रत्न चंद्रमा के द्वारा
राज करते हैं।
ग्रहों के लिए रत्न
इस प्रकार है।
रवि
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माणिक्य
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चंद्रमा
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मोती
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मंगल
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लाल
मूंगा
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बुध
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पन्ना
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गुरू
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पीला
नीलम
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शुक्र
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हीरा
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शनि
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नीलम
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राहु
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गोमेद
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केतु
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लहसूनिया
|

यहां बहुत से कारक
हैं जो प्रत्येक व्यक्ति की कुडंली के अनुसार समझे जाते हैं जिनमें से दो उदाहरण
कुछ इस प्रकार दिए गए हैं:
शनि के लिएः भोजन,
पैसे या नए काले कपड़ें या गरीब, बीमार या विकलांग लोगों को काले सरसों
के बीज दान करना।
बृहस्पति के लिएः
गुरू या धर्म गुरू, पंडित, साधु या धार्मिक संस्थाओं को पैसे दान करना और
व्यक्तिगत सेवाएं करना। प्रत्येक बृहस्पति वार इसे करें।
अंतत: पूर्व जन्म में
या बीते समय में किए गए किसी भी कर्म के संताप से बचने के लिए यदि को वास्तविक
उपचार हो सकता है तो वह यह है कि आप पूरी श्रद्धा के साथ ईश्वर के समक्ष स्वयं को
पूरी तरह से समर्पित करें, अह्म का त्याग करें व आत्म ज्ञान प्राप्त करें।
Dr. Shanker Adawal
Profile: www.connectingmind.com
Research work and articles on Bhrigu Nadi astrology: www.shankerstudy.com
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